Connect with us

Faridabad NCR

ज्ञान का विस्तार वैज्ञानिक अनुसंधान से ही संभव : कुलपति प्रो. दिनेश कुमार

Published

on

Spread the love

Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 22 जनवरी जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद के कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग और पंडित दीन दयाल उपाध्याय सेंट्रल लाइब्रेरी द्वारा विद्वत्तापूर्ण प्रकाशनों के लिए गुणात्मक शोध लेखन पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का आयोजन शोधकर्ताओं के अनुसंधान कौशल और क्षमताओं में सुधार लाने उद्देश्य से किया गया ताकि अनुसंधान को प्रभावी ढंग से प्रकाशित किया जा सके। कार्यशाला में 150 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिसमें संकाय सदस्य, पीएचडी स्कोलर और विश्वविद्यालय के एमटेक विद्यार्थी शामिल रहे।
कार्यशाला की उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने की और उन्होंने विद्यार्थियों के लिए शोध के महत्व, गुणवत्ता पत्रिकाओं में इसके प्रकाशन, और कार्य का विस्तार, उचित समय प्रबंधन और अनुसंधान नैतिकता को लेकर अपने विचार रखे। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि ज्ञान का विस्तार वैज्ञानिक अनुसंधान से ही संभव है। उन्होंने कार्यशाला आयोजन के लिए आयोजन समिति के प्रयासों की भी सराहना की।
कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष प्रो. कोमल कुमार भाटिया ने कहा कि विश्वविद्यालय अनुसंधान, नवोन्मेष और उद्यमशीलता को बढ़ावा दे रहा है ताकि शोध परिणामों का लाभ समाज तक पहुंचे। उन्होंने नए अनुप्रयोग क्षेत्रों में तकनीकी विकास के अवसरों की खोज करने पर बल दिया। उन्होंने यह भी कहा कि शोधकर्ताओं को एससीआई और स्कोपस इंडेक्सया अन्य प्रतिष्ठित इंडेक्स पत्रिकाओं में प्रकाशन के लिए प्रयास करना चाहिए।
लाइब्रेरियन डॉ. पी. एन. बाजपेयी ने विश्वविद्यालय की सेंट्रल लाइब्रेरी द्वारा उपलब्ध कराए गए ई-संसाधनों के बारे में बताया। उन्होंने ई-लाइब्रेरी पोर्टल और अन्य सूचना संसाधनों का उपयोग करने के बारे में विद्यार्थियों को जागरूक किया। उन्होंने कहा कि वे किसी भी प्रकार के अनुसंधान सहायता के लिए लाइब्रेरी से संपर्क कर सकते हैं।
कार्यशाला के विशेषज्ञ वक्ता पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के डिप्टी लाइब्रेरियन डॉ. नीरज कुमार सिंह ने विभिन्न प्रकार की पत्रिकाओं, एससीआई, स्कोपस, यूजीसी जैसी पत्रिकाओं के सूचकांक के बारे में बताया और जानकारी दी कि कैसे शोधकर्ता अपने अनुसंधान लेख गुणवत्ता वाली इंडेक्स पत्रिकाओं में प्रकाशित करवा सकते है। उन्होंने वैज्ञानिक अनुसंधान और अनुसंधान दृश्यता के प्रभाव को मापने के तरीके पर भी अपने विचार साझा किए।
डॉ. पारुल गुप्ता ने कार्यशाला के उद्देश्यों पर जानकारी दी और बताया कि कार्यशाला में प्रदान जानकारी किस तरह से सभी प्रतिभागियों के शोध कार्यों में सुधार ला सकता है। सत्र के समापन पर श्रुति शर्मा के धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के सफलता संचालन में विद्यार्थी समन्वयक डिंपल चहल और अनुभव चैहान नेयोगदान दिया।

Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright © 2024 | www.hindustanabtak.com